उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री टी0एस0 ठाकुर ने कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ तथा इसके बाद लखनऊ खण्डपीठ के नवीन भवन के उद्घाटन के मौके पर न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग, विवादों के निपटारे में तेजी लाने का संकल्प लें। यही इस अवसर की सफलता होगी। उन्होंने कहा कि इस नवीन भवन की भव्यता दुनिया के किसी भी न्यायालय भवन से अधिक है। इस बड़ी और भव्य इमारत से इन्साफ की उम्मीदे भी बढ़ गई हैं, जिन पर हम सबको खरा उतरना होगा। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आज यहां गोमती नगर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के नव-निर्मित भवन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लखनऊ का सौन्दर्य और अदब विश्व प्रसिद्ध रहा है। इसमें उच्च न्यायालय का यह नव-निर्मित भवन जुड़ रहा है। वक्त की रफ्तार के साथ बहुत कुछ बदला है। लखनऊ में नयी और पुरानी रवायतें मिली-जुली नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि लाखों लोग रोजगार और काम की तलाश में गांव से शहर आते हैं। आबादी के बढ़ने के साथ-साथ लोगों के मसायल भी बढ़े हैं और विवाद भी उपजे हैं। बार और बेंच को मिलजुल कर समस्याओं और विवादों के शीघ्र निस्तारण की ओर ध्यान देना होगा।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश के न्यायिक इतिहास में यह सप्ताह ऐतिहासिक रहा है। जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद लखनऊ खण्डपीठ के नवीन भवन का लोकार्पण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस भवन के साथ लोगों की न्याय की उम्मीदें भी जुड़ रही हैं। वादी को त्वरित और सुलभ न्याय दिलाना न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि सुविधाओं के बढ़ने से न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने का कार्य सुगम होगा। उन्होंने कहा कि संविधान के तीनों अंग-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को संतुलन बनाकर कार्य करना पड़ता है। इस बात की खुशी है कि संविधान के आधार पर न्याय पालिका चल रही है। उन्होंने बार और बेंच के समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि इन सम्बन्धों के सुदृढ़ होने से न्याय पालिका और अच्छे ढंग से चलेगी। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में न्यायाधीशों और अन्य पदों पर नियुक्तियों पर ध्यान देना होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका में विश्वास की भावना का होना जरूरी है। इन तीनों अंगों के बीच एक-दूसरे का सम्मान करने के साथ-साथ तालमेल कायम रहना भी जरूरी है, ताकि जनकल्याण का कार्य प्रभावित न होने पाए। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों को त्वरित इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा न्यायपालिका की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का काम लगातार किया गया है। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री के.जी. बालाकृष्णन, उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी, श्री एस.एन. अग्निहोत्री, श्री तेज प्रताप तिवारी, श्री राजीव माहेश्वरम, उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त श्री संजय मिश्रा, महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर सिंह सहित अधिवक्तागण, मीडियाकर्मी, शासन व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
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