भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोकगायिका की आवाज 16 नवंबर को खामोश हो गयी। प्रसिद्ध लोकगायिका मैनावती पिछले 23 दिनों से बीमार चल रही थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विख्यात लोक गायिका श्रीमती मैनावती देवी श्रीवास्तव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि श्रीमती मैनावती देवी ने आकाशवाणी, गोरखपुर के माध्यम से भोजपुरी की जो सेवा की, वह सदैव अविस्मरणीय रहेगी।
लोकगायिका मैनावती देवी श्रीवास्तव मूल रूप से बिहार के सिवान जिले की पचरूखी की रहने वाली थी। वह गोरखपुर के आर्यनगर में रहती थी। उन्होने लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई। उनके गीतों के बाद से ही भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान मिली। उन्होंने लोकपरंपरा को गीतों में पिरोने का काम किया। लोकपरंपरा में भारतीय सामजिक परिवेश में रहन-सहन, जीवन-मरण से लेकर हर परिवेश को उन्होने बड़ी ही कुशलता से अपनी रचनाओं में भी उकेरा है। वह कवियत्री और लेखिका थी। म्यूजिक कंपोजर के रूप में आकाशवाणी में काम किया। साथ ही दूरदर्शन में भी उन्होने अपना अमूल्य योगदान दिया। उनकी प्रमुख रचनाएं थी - 1977 गांव के दो गीत, श्री श्री सरस्वती चालीसा, श्री श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती, पुरखन के थाती, कचरस, याद करे तेरी मैना, चोर के दाढ़ी में तिनका और बेघरनी घर भूत के डेरा।
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